Saturday 18 July 2020

"शहीदों की निशानियों पर बदहाली की धूल" - Himantar

"शहीदों की निशानियों पर बदहाली की धूल" - Himantar: विजय भट्ट जब कफस से लाश निकली उस बुलबुले नाशाद की. इस कदर रोये कि हिचकी बंध गयी सैयाद की.  कमसिनी में खेल खेल नाम ले लेकर तेरे. हाथ से तुर्बत बनायी, पैर से बबार्द की. शाम का वक्त है, कबरों को न ठुकराते चलो.  जाने किस हालत में हो मैयत किसी नाशाद की. भारत […]

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