Wednesday 8 November 2017

सांकेतिक मुद्रा से कैशलेस का सफर

भातर में 1325 ईवीं से पहले वस्तु विनिमय था। लोग मुद्रा के बारे में नही जानते थे। सबसे पहले गयासुद्दीन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा चलाई। लोग इसे नही समझ पाए। ना ही सुल्तान लोगों को समझा पाया। लोगो ने उसे पागल सुल्लान करार दिया। लेकिन भारत में सांकेतिक मुद्रा का वास्विक जनक तुगलक ही है। 14वी शताब्दी से 21वीं शताब्दी तक का भारतीय मुद्रा के शफर को देखें तो। विमुद्रीकरण आरबीआई टकसाल योजना आयोग बैंकिग और कैशलेस के बारे में जानना जरूरी है। कैसलेस भी ठीक उसी तरह है जिस तरह वस्तुविनमय के जमाने में सांकेतिक मुद्रा का परचलन। लेकिन सुल्लतान जनता का विरोध नही झेल पाया और कोई ठोस नीति नहीं बना पाया। जिस कारण लोगों ने घर घर टकसाल खोल दी। बाजार में रुपये ही रुपये हो गए। ठीक इसी प्रकार नोटबंदी कैशलेस के बारे में भी पहले योजना बनानी होगी तभी इसमें सफलता मिल सकती है।