Wednesday 22 March 2017

कंडी रोड का मौत का कुंआ

vijay bhatt

कोटद्वार खाम क्षेत्र में अंग्रेजों के जमाने में कभी यह कुंआ कंडी मार्ग के राहगीरों की प्यास बुझाया करता था।भारत स्वतंत्र होने के बाद भारत में खाम क्षेत्र का तहसीलों में बिलय किया गया। नई तहसीले अस्तत्वि में आई और बाद में कंडी मार्ग का क्षेत्र लैंसडौन वन प्रभाग और टाइगर रर्जिव में आ गया। बफर जोन होने के चलते बाद में कंडी मार्ग भी बंद हो गया और।कुमाउऊं और गढ़ावाल की सांस्कृतिक दूरियां भी बढ़ गई। अग्रेंजों के जमाने में बना यह कुंआ आज भी मौजूद है। लेकिन अब कंडी में पर राहगीर नहीं।सह कुंआ अब जंगली जानवरों के लिए मौत का कुआ बनकर रह गया।इसके बाद न ही वन विभाग ने कुंआ बंद करने की हिमाकत की और न ही कोई अन्य। कई वन्य जीव इस कुंए में गिए कर अपनी जीवन लीला सामाप्त कर गए है।