Sunday 16 August 2020

##वैश्विक महामारी कोरोना और इसके साइड इफेक्ट##

##वैश्विक महामारी कोरोना और इसके साइड इफेक्ट##

कोराना का पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन के वुहान प्रांत में सामने आया था। उसके बाद वायरस दुनिया के 168 देशों में अपने पैर पसार चुका है। कोरोना के बाद कई तरह की अफवाओं का बाजार भी गर्म रहा। भारत में पहला कोरोना का मामला जनवरी में केरल में आया। जिसमें चीन से लौटे एक छात्र में कोरोना की पुष्टि हुई। इसके बाद अन्य प्रांतों में भी इसके मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। पहले दौरा में मुंबई में सबसे अधिक मामले सामने आए। उत्तराखंड में मार्च दूसरे सप्ताह में पहला कोरोना का मामला सामने आया।विदेश से लौटे एक ट्रेनी आईएफएस में इसकी पुष्टि हुई। जिसके बाद कोटद्वार में स्पेन से लौटे युवक रुड़की क्षेत्र में मामले आए। मार्च तीसरे सप्ताह में दिल्ली निजामुद्दीन मरकज मामले का पता लगा जिसके बाद कोरोना के मामले बढ़ने लगे। उत्तराखंड में भी 10 अप्रैल तक 34 मामले कोरोना के दर्ज किए गए। जिसमें से अधिकांश जमात से जुड़े होने की बात सामने आई। भारत में 10 अप्रैल तक कुल कोरोना के मामले 5865 हो चुके हैं, जिसमें से 169 लोगों की मौत हो चुकी है।जबकि 447 लोग ठीक हो चुके हैं। विश्व में 10 अप्रैल तक कुल 1569849 मामले सामने आ चुके हैं।जिसमें से 92191 लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में 16074 और चीन में 3335 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि भारत में कोरोना की रफ्तार दर अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिसद ने दावा किया है कि भारत में कोरोना संक्रमण की दर तीन से पांच फीसदी है। भारत सरकार ने भी 24 मार्च को पूरे भारत में लॉकडान कर दिया। इसी बीच अमेरिका और चीन के बीच जुवानी जंग भी तेज हुई। हाल में ही भारत से क्लोरोक्वीन दवा मांगने को लेकर ट्रंप और मोदी की भी खूब चर्चा रही। बाद में अमेरिका ने भारत का धन्यवाद किया। वहीं दुनियां के सबसे शक्तिशाली देश को रूस की ओर से वैंटिलेटर देने का मामला भी खूब चर्चा में रहा। भारत में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं और डॉक्टरों को पीपीटी किट पर भी चर्चा हुई। कुछ लोगों ने दावा किया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत दुनियां में 192 वें स्थान पर है। जिसका पता कोरोना के दौरान चला। जबकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में नंबर दो पर रहने वाले ईटली की भी बुरी स्थिति है। वहीं इस वायरस को लेकर अमरीकन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑर हेल्थ ने अपने रिसर्च में पाया है कि ये थूक के कणों में वायरस 3-4 घंटों तक ज़िंदा रह सकते हैं और हवा में तैर सकते हैं. लेकिन अगर ये कण दरवाज़े का हैंडल, लिफ्ट बटन जैसे धातु जैसी सतहों पर ये 48 घंटों तक एक्टिव रह सकते हैं। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका सोशल डिस्टेंसिंग है। लेकिन कुछ लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग के स्थान पर फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। सामाजिक दूरी या शाररिक दूरी। वायर सबसे अधिक एक दूसरे के संपर्क में आने से फैला। अफवाओं का दौर भी इस कदर हावी रहा कि शराब पीने से वारसर खत्म होने की अफवाह ने खाड़ी देश में तीन सौ लोगों की जान ले ली। जबकि कोरोना के भय से कई लोगों ने आत्महत्या कर ली।


कोरोना संकट में भारत और विश्व 
कोरोना से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। कोरोना की वजह से भारत के करीब 40 करोड़ लोगों के गरीबी रेखा से नीचे जाने का खतरा बढ़ गया है। भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा के क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान है। चिकित्सा को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्र बंद हैं। यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड19 की वजह से इस साल दूसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर 19.5 करोड़ लोगों की फुलटाइम जॉब जा सकती है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन आईएलओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे खराब वैश्विक संकट बताया है। भारत में असंगठित क्षेत्र देश की करीब 94 फ़ीसदी आबादी को रोज़गार देता है और अर्थव्यवस्था में इसका योगदान 45 फ़ीसदी है. लॉकडाउन की वजह से असंगठित क्षेत्र पर बुरी मार पड़ी है। क्योंकि रातोंरात हज़ारों लोगों का रोज़गार छिन गया. इसीलिए सरकार की ओर से जो पहले राहत पैकेज की घोषणा की गई वो ग़रीबों पर आर्थिक बोझ कम करने के उद्देश्य से हुई। लॉकडाउन में वहीं आईटी कंपनियों को बड़ा अवसर भी मिला है। ऑनलाइन शिक्षा का कारोबार और अन्य गतिविधियां बढ़ी हैं। कई स्कूलों ने मोबाइल एप , यूट्यूब, और वर्चुअल क्लास से पढ़ाई करवाई जा रही है। वहीं न्यूज पोर्टल और ई पेपर के पाठकों की संख्या भी बड़ी है। कई नए न्यूज पोर्टलों का जन्म हुआ। जबिक सोशल मीडिया का भी सबसे अधिक प्रयोग हुआ। मोबाइल फोन भी इस पूरे घटनाक्रम में किसी क्रांति से कम नहीं रहा।

कोरोना वायरस है क्या 
कोरोना का सामान्य अर्थ मुकुट होता है। कोरोना वायर के चारों और की परत चंद्रमा की परत की तरह दिखती है। चंद्रमा की बाहरी कक्षा के आकार की तरह होने के कारण इसे कोरोना नाम दिया गया है। कोरोनावायरस (Coronavirus)  कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की सर्दी-जुकाम से लेकर अति गम्भीर मृत्यु तक हो सकती है। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों के आधार पर संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे इसकों ही ध्यान में रखा जा रहा है। इम्यून सिस्टम को ठीक रखने के लिए कई प्रकार के आयुर्वेदिक संसाधनों का प्रयोग अपने खाने में किया जा रहा है। साथ ही मलेरिया में कारगर दवा क्लोरोक्वीन का भी डॉक्टरी सलाह पर प्रयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसकी संरचना पहचाने में कामयाबी तो पा ली है। लेकिन इसका मूल कहां और और इसकी दवा अभी तक नहीं बन पाई है। दुनियां के वैज्ञानिक इस पर कार्यकर रहे हैं।

कब क्या हुआ
01 जनवरी वुहान में मांस बाजार बंद
09 जनवरी को नोवेल कोरोना वायरस की पहचान हुई
13 जनवरी को चीन से पहला कोरोना केस बाहर
31 जनवरी भारत, इटली, ब्रिटेन, स्पेन में पहला मामला 
22-23 मार्च भारत में जनता कफर्यू
24 मार्च से भारत में डॉकडाउन 
08 अप्रैल ब्रिटिश पीएम की हालत गंभीर 
08 अप्रैल मरने वालों की संख्या 75000 पार
10 अप्रैल को मैने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की